- 13 Posts
- 18 Comments
जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने
वाला संवेधानिक प्रावधान
अनुच्छेद 370 पर राष्ट्रव्यापी बहस आगे बढ़नी
चाहिये। अब राष्ट्र को बिना
किसी पूर्वाग्रह के स्पष्ट मूल्यांकन करना
चाहिए कि धारा 370 से राज्य की
आम जनता को कोई लाभ हुवा है या वहां के
निहित स्वार्थी गुटों द्वारा आम
आदमी के शोषण के लिए हथियार के रूप में
इस्तेमाल की जा रही है? देश में
यह भी विमर्श होना चाहिए कि इस उपबंध के
आड़ में पृथकतावाद और देश विरोधी
जमातो की लम्बी फ़ौज खड़ा कर दिया गया
है। संविधान या कानून के किसी अस्थाई
प्रावधान को केवल इसलिए बनाये रखना
समझदारी की बात नहीं कि उसकी समीक्षा
से अब्दुलला परिवार,कट्टरपंथी गुटों,पाक परस्त
ताकतों को पसंद नहीं। ऐसे
गुटों को राजी व् खुश रखना कांग्रेस पार्टी
की विवशता हो सकती
है,नरेन्द्र मोदी सरीखे दमदार प्रधानमंत्री की
नहीं जो प्रचंड बहुमत से
सत्ता में पहुंचे हो। विदित हो जम्मू और लद्दाख
के लोगों ने अनुच्छेद 370
को हटाने के लिये 1948 से लेकर 1953 तक प्रजा
परिषद के झंडे टेल एक लम्बी
लड़ाई भी लड़ी थी। अभी तक प्रजा परिषद्
आन्दोलन की विरासत समाप्त नहीं हुई
है। ऐसे भी व्यवहारिक नज़रिए से भी देखे तो आज
जम्मू कश्मीर में इस विशेष
संवेधानिक दर्जे से राज्य भारी नुक्सान उठा
चूका है। इसी का नतीजा है कि
वहां के मुख्यमंत्री ओमर अब्दुल्ल्ला रह रह कर देश
विरोधी ब्यान देते
रहते हैं ऊपर से पाक परस्त लोगों को भी ये उपबंध
भरन पोषण करता है। इसलिए
जम्मू कश्मीर से जितना जल्दी हो सके धरा 370
हटा देने में ही राष्ट्र की
भलाई है।
-नारायण कैरो,लोहरदगा
11/07/2015
Read Comments